آیت :
1
إِذَا ٱلسَّمَآءُ ٱنشَقَّتۡ
जब आकाश फट जाएगा।
آیت :
2
وَأَذِنَتۡ لِرَبِّهَا وَحُقَّتۡ
और अपने पालनहार के आदेश पर कान लगाएगा और यही उसके योग्य है।
آیت :
3
وَإِذَا ٱلۡأَرۡضُ مُدَّتۡ
तथा जब धरती फैला दी जाएगी।
آیت :
4
وَأَلۡقَتۡ مَا فِيهَا وَتَخَلَّتۡ
और जो कुछ उसके भीतर है, उसे निकाल बाहर फेंक देगी और खाली हो जाएगी।
آیت :
5
وَأَذِنَتۡ لِرَبِّهَا وَحُقَّتۡ
और अपने पालनहार के आदेश पर कान लगाएगी और यही उसके योग्य है।[1]
آیت :
6
يَٰٓأَيُّهَا ٱلۡإِنسَٰنُ إِنَّكَ كَادِحٌ إِلَىٰ رَبِّكَ كَدۡحٗا فَمُلَٰقِيهِ
ऐ इनसान! निःसंदेह तू कठिन परिश्रम करते-करते अपने पालनहार की ओर जाने वाला है, फिर तू उससे मिलने वाला है।
آیت :
7
فَأَمَّا مَنۡ أُوتِيَ كِتَٰبَهُۥ بِيَمِينِهِۦ
फिर जिस व्यक्ति को उसका कर्मपत्र उसके दाहिने हाथ में दिया गया।
آیت :
8
فَسَوۡفَ يُحَاسَبُ حِسَابٗا يَسِيرٗا
तो उसका आसान हिसाब लिया जाएगा।
آیت :
9
وَيَنقَلِبُ إِلَىٰٓ أَهۡلِهِۦ مَسۡرُورٗا
तथा वह अपने लोगों की ओर ख़ुश-ख़ुश लौटेगा।
آیت :
10
وَأَمَّا مَنۡ أُوتِيَ كِتَٰبَهُۥ وَرَآءَ ظَهۡرِهِۦ
और लेकिन जिसे उसका कर्मपत्र उसकी पीठ के पीछे दिया गया।
آیت :
11
فَسَوۡفَ يَدۡعُواْ ثُبُورٗا
तो वह विनाश को पुकारेगा।
آیت :
12
وَيَصۡلَىٰ سَعِيرًا
तथा जहन्नम में प्रवेश करेगा।
آیت :
13
إِنَّهُۥ كَانَ فِيٓ أَهۡلِهِۦ مَسۡرُورًا
निःसंदेह वह अपने घर वालों में बड़ा प्रसन्न था।
آیت :
14
إِنَّهُۥ ظَنَّ أَن لَّن يَحُورَ
निश्चय उसने समझा था कि वह कभी (अल्लाह की ओर) वापस नहीं लौटेगा।
آیت :
15
بَلَىٰٓۚ إِنَّ رَبَّهُۥ كَانَ بِهِۦ بَصِيرٗا
क्यों नहीं, निश्चय उसका पालनहार उसे देख रहा था।[2]
آیت :
16
فَلَآ أُقۡسِمُ بِٱلشَّفَقِ
मैं क़सम खाता हूँ शफ़क़ (सूर्यास्त के बाद की लाली) की।
آیت :
17
وَٱلَّيۡلِ وَمَا وَسَقَ
तथा रात की और उसकी जो कुछ वह एकत्रित करती है!
آیت :
18
وَٱلۡقَمَرِ إِذَا ٱتَّسَقَ
तथा चाँद की, जब वह पूरा हो जाता है।
آیت :
19
لَتَرۡكَبُنَّ طَبَقًا عَن طَبَقٖ
तुम अवश्य एक अवस्था से दूसरी अवस्था में स्थानांतरित होते रहोगे।
آیت :
20
فَمَا لَهُمۡ لَا يُؤۡمِنُونَ
फिर उन्हें क्या हो गया है कि वे ईमान नहीं लाते?
آیت :
21
وَإِذَا قُرِئَ عَلَيۡهِمُ ٱلۡقُرۡءَانُ لَا يَسۡجُدُونَۤ۩
और जब उनके सामने क़ुरआन पढ़ा जाता है, तो सजदा नहीं करते।[3]
آیت :
22
بَلِ ٱلَّذِينَ كَفَرُواْ يُكَذِّبُونَ
बल्कि जिन्होंने कुफ़्र किया, वे (उसे) झुठलाते हैं।
آیت :
23
وَٱللَّهُ أَعۡلَمُ بِمَا يُوعُونَ
और अल्लाह सबसे अधिक जानने वाला है जो कुछ वे अपने भीतर रखते हैं।
آیت :
24
فَبَشِّرۡهُم بِعَذَابٍ أَلِيمٍ
अतः उन्हें एक दर्दनाक यातना की शुभ सूचना दे दो।
آیت :
25
إِلَّا ٱلَّذِينَ ءَامَنُواْ وَعَمِلُواْ ٱلصَّٰلِحَٰتِ لَهُمۡ أَجۡرٌ غَيۡرُ مَمۡنُونِۭ
परंतु जो लोग ईमान लाए तथा उन्होंने सत्कर्म किए, उनके लिए कभी न समाप्त होने वाला बदला है।[4]