آیت :
6
عَيۡنٗا يَشۡرَبُ بِهَا عِبَادُ ٱللَّهِ يُفَجِّرُونَهَا تَفۡجِيرٗا
यह एक स्रोत होगा, जिससे अल्लाह के बंदे पीएँगे। वे उसे (जहाँ चाहेंगे) बहा ले जाएँगे।[4]
آیت :
7
يُوفُونَ بِٱلنَّذۡرِ وَيَخَافُونَ يَوۡمٗا كَانَ شَرُّهُۥ مُسۡتَطِيرٗا
जो नज़्र (मन्नत)[5] पूरी करते हैं और उस दिन[6] से डरते हैं जिसकी आपदा चारों ओर फैली हुई होगी।
آیت :
8
وَيُطۡعِمُونَ ٱلطَّعَامَ عَلَىٰ حُبِّهِۦ مِسۡكِينٗا وَيَتِيمٗا وَأَسِيرًا
और वे निर्धन, अनाथ और क़ैदी को खाना (खुद) उसकी चाहत रखते हुए भी खिलाते हैं।
آیت :
9
إِنَّمَا نُطۡعِمُكُمۡ لِوَجۡهِ ٱللَّهِ لَا نُرِيدُ مِنكُمۡ جَزَآءٗ وَلَا شُكُورًا
(और कहते हैं :) हम तो तुम्हें केवल अल्लाह के चेहरे की ख़ातिर खिलाते हैं। न तुमसे कोई बदला चाहते हैं और न कृतज्ञता।
آیت :
10
إِنَّا نَخَافُ مِن رَّبِّنَا يَوۡمًا عَبُوسٗا قَمۡطَرِيرٗا
हम अपने पालनहार से उस दिन से डरते हैं, जो बहुत कठिन और भयानक होगा।
آیت :
11
فَوَقَىٰهُمُ ٱللَّهُ شَرَّ ذَٰلِكَ ٱلۡيَوۡمِ وَلَقَّىٰهُمۡ نَضۡرَةٗ وَسُرُورٗا
तो अल्लाह ने उन्हें उस दिन की आपदा से बचा लिया और उन्हें ताज़गी तथा खुशी प्रदान की।
آیت :
12
وَجَزَىٰهُم بِمَا صَبَرُواْ جَنَّةٗ وَحَرِيرٗا
और उन्हें उनके धैर्य करने के बदले में जन्नत और रेशमी वस्त्र प्रदान किया।
آیت :
13
مُّتَّكِـِٔينَ فِيهَا عَلَى ٱلۡأَرَآئِكِۖ لَا يَرَوۡنَ فِيهَا شَمۡسٗا وَلَا زَمۡهَرِيرٗا
वे उसमें तख़्तों पर तकिया लगाए बैठे होंगे। न उसमें धूप देखेंगे और न सख़्त ठंड।
آیت :
14
وَدَانِيَةً عَلَيۡهِمۡ ظِلَٰلُهَا وَذُلِّلَتۡ قُطُوفُهَا تَذۡلِيلٗا
और उसके साए उनपर झुके हुए होंगे और उसके फलों के गुच्छे उनके वश में कर दिए जाएँगे।
آیت :
15
وَيُطَافُ عَلَيۡهِم بِـَٔانِيَةٖ مِّن فِضَّةٖ وَأَكۡوَابٖ كَانَتۡ قَوَارِيرَا۠
तथा उनपर चाँदी के बरतन और प्याले फिराए जाएँगे, जो शीशे के होंगे।
آیت :
16
قَوَارِيرَاْ مِن فِضَّةٖ قَدَّرُوهَا تَقۡدِيرٗا
शीशे चाँदी के होंगे, उन्होंने उनका ठीक अनुमान लगाया होगा।[7]
آیت :
17
وَيُسۡقَوۡنَ فِيهَا كَأۡسٗا كَانَ مِزَاجُهَا زَنجَبِيلًا
और उसमें वे ऐसे जाम पिलाए जाएँगे, जिसमें सोंठ मिली होगी।
آیت :
18
عَيۡنٗا فِيهَا تُسَمَّىٰ سَلۡسَبِيلٗا
वह उस (जन्नत) में एक स्रोत है, जिसका नाम सलसबील है।
آیت :
19
۞ وَيَطُوفُ عَلَيۡهِمۡ وِلۡدَٰنٞ مُّخَلَّدُونَ إِذَا رَأَيۡتَهُمۡ حَسِبۡتَهُمۡ لُؤۡلُؤٗا مَّنثُورٗا
और उनके आस-पास ऐसे बालक फिर रहे होंगे, जो सदा बालक ही रहेंगे। जब तुम उन्हें देखोगे, तो उन्हें बिखरे हुए मोती समझोगे।
آیت :
20
وَإِذَا رَأَيۡتَ ثَمَّ رَأَيۡتَ نَعِيمٗا وَمُلۡكٗا كَبِيرًا
तथा जब तुम वहाँ देखोगे, तो महान नेमत तथा विशाल राज्य देखोगे।
آیت :
21
عَٰلِيَهُمۡ ثِيَابُ سُندُسٍ خُضۡرٞ وَإِسۡتَبۡرَقٞۖ وَحُلُّوٓاْ أَسَاوِرَ مِن فِضَّةٖ وَسَقَىٰهُمۡ رَبُّهُمۡ شَرَابٗا طَهُورًا
उनके शरीर पर महीन रेशम के हरे कपड़े तथा दबीज़ रेशमी वस्त्र होंगे और उन्हें चाँदी के कंगन पहनाए जाएँगे और उनका पालनहार उन्हें पवित्र पेय पिलाएगा।
آیت :
22
إِنَّ هَٰذَا كَانَ لَكُمۡ جَزَآءٗ وَكَانَ سَعۡيُكُم مَّشۡكُورًا
(तथा कहा जाएगा :) निःसंदेह यह तुम्हारा प्रतिफल है और तुम्हारे प्रयास का सम्मान किया गया।
آیت :
23
إِنَّا نَحۡنُ نَزَّلۡنَا عَلَيۡكَ ٱلۡقُرۡءَانَ تَنزِيلٗا
निश्चय हम ही ने आपपर यह क़ुरआन थोड़ा-थोड़ा करके[8] उतारा है।
آیت :
24
فَٱصۡبِرۡ لِحُكۡمِ رَبِّكَ وَلَا تُطِعۡ مِنۡهُمۡ ءَاثِمًا أَوۡ كَفُورٗا
अतः आप अपने पालनहार के आदेश के लिए धैर्य रखें और उनमें से किसी पापी या कृतघ्न की बात न मानें।
آیت :
25
وَٱذۡكُرِ ٱسۡمَ رَبِّكَ بُكۡرَةٗ وَأَصِيلٗا
तथा प्रातःकाल और संध्या समय अपने पालनहार का नाम याद करते रहें।