آیت :
16
سَنَسِمُهُۥ عَلَى ٱلۡخُرۡطُومِ
शीघ्र ही हम उसकी थूथन[4] पर दाग़ लगाएँगे।
آیت :
17
إِنَّا بَلَوۡنَٰهُمۡ كَمَا بَلَوۡنَآ أَصۡحَٰبَ ٱلۡجَنَّةِ إِذۡ أَقۡسَمُواْ لَيَصۡرِمُنَّهَا مُصۡبِحِينَ
निःसंदेह हमने उन्हें परीक्षा में डाला[5] है, जिस प्रकार बाग़ वालों को परीक्षा में डाला था, जब उन्होंने क़सम खाई कि भोर होते ही उसके फल अवश्य तोड़ लेंगे।
آیت :
18
وَلَا يَسۡتَثۡنُونَ
और वे 'इन शा अल्लाह' नहीं कह रहे थे।
آیت :
19
فَطَافَ عَلَيۡهَا طَآئِفٞ مِّن رَّبِّكَ وَهُمۡ نَآئِمُونَ
तो आपके पालनहार की ओर से उस (बाग़) पर एक यातना फिर गई, जबकि वे सोए हुए थे।
آیت :
20
فَأَصۡبَحَتۡ كَٱلصَّرِيمِ
तो वह अंधेरी रात जैसा (काला) हो गया।
آیت :
21
فَتَنَادَوۡاْ مُصۡبِحِينَ
फिर उन्होंने भोर होते ही एक-दूसरे को पुकारा :
آیت :
22
أَنِ ٱغۡدُواْ عَلَىٰ حَرۡثِكُمۡ إِن كُنتُمۡ صَٰرِمِينَ
कि अपने खेत पर सवेरे ही जा पहुँचो, यदि तुम फल तोड़ने वाले हो।
آیت :
23
فَٱنطَلَقُواْ وَهُمۡ يَتَخَٰفَتُونَ
चुनाँचे वे आपस में चुपके-चुपके बातें करते हुए चल दिए।
آیت :
24
أَن لَّا يَدۡخُلَنَّهَا ٱلۡيَوۡمَ عَلَيۡكُم مِّسۡكِينٞ
कि आज उस (बाग़) में तुम्हारे पास कोई निर्धन[6] हरगिज़ न आने पाए।
آیت :
25
وَغَدَوۡاْ عَلَىٰ حَرۡدٖ قَٰدِرِينَ
और वे सुबह-सुबह (यह सोचकर) निकले कि वे (निर्धनों को) रोकने में सक्षम हैं।
آیت :
26
فَلَمَّا رَأَوۡهَا قَالُوٓاْ إِنَّا لَضَآلُّونَ
फिर जब उन्होंने उसे देखा, तो कहा : निःसंदेह हम निश्चय रास्ता भूल गए हैं।
آیت :
27
بَلۡ نَحۡنُ مَحۡرُومُونَ
बल्कि हम वंचित[7] कर दिए गए हैं।
آیت :
28
قَالَ أَوۡسَطُهُمۡ أَلَمۡ أَقُل لَّكُمۡ لَوۡلَا تُسَبِّحُونَ
उनमें से बेहतर ने कहा : क्या मैंने तुमसे नहीं कहा था कि तुम (अल्लाह की) पवित्रता का वर्णन क्यों नहीं करते?
آیت :
29
قَالُواْ سُبۡحَٰنَ رَبِّنَآ إِنَّا كُنَّا ظَٰلِمِينَ
उन्होंने कहा : हमारा रब पवित्र है। निःसंदेह हम ही अत्याचारी थे।
آیت :
30
فَأَقۡبَلَ بَعۡضُهُمۡ عَلَىٰ بَعۡضٖ يَتَلَٰوَمُونَ
फिर वे आपस में एक दूसरे को दोष देने लगे।
آیت :
31
قَالُواْ يَٰوَيۡلَنَآ إِنَّا كُنَّا طَٰغِينَ
उन्होंने कहा : हाय हमारा विनाश! निश्चय हम ही सीमा का उल्लंघन करने वाले थे।
آیت :
32
عَسَىٰ رَبُّنَآ أَن يُبۡدِلَنَا خَيۡرٗا مِّنۡهَآ إِنَّآ إِلَىٰ رَبِّنَا رَٰغِبُونَ
आशा है कि हमारा पालनहार हमें बदले में इस (बाग़) से बेहतर प्रदान करेगा। निश्चय हम अपने पालनहार ही की ओर इच्छा रखने वाले हैं।
آیت :
33
كَذَٰلِكَ ٱلۡعَذَابُۖ وَلَعَذَابُ ٱلۡأٓخِرَةِ أَكۡبَرُۚ لَوۡ كَانُواْ يَعۡلَمُونَ
इसी तरह होती है यातना, और आख़िरत की यातना तो इससे भी बड़ी है। काश वे जानते होते!
آیت :
34
إِنَّ لِلۡمُتَّقِينَ عِندَ رَبِّهِمۡ جَنَّٰتِ ٱلنَّعِيمِ
निःसंदेह डरने वालों के लिए उनके पालनहार के पास नेमत के बाग़ हैं।
آیت :
35
أَفَنَجۡعَلُ ٱلۡمُسۡلِمِينَ كَٱلۡمُجۡرِمِينَ
तो क्या हम आज्ञाकारियों[8] को अपराध करने वालों की तरह कर देंगे?
آیت :
36
مَا لَكُمۡ كَيۡفَ تَحۡكُمُونَ
तुम्हें क्या हुआ, तुम कैसे फ़ैसले करते हो?
آیت :
37
أَمۡ لَكُمۡ كِتَٰبٞ فِيهِ تَدۡرُسُونَ
क्या तुम्हारे पास कोई पुस्तक है, जिसमें तुम पढ़ते हो?
آیت :
38
إِنَّ لَكُمۡ فِيهِ لَمَا تَخَيَّرُونَ
(कि) निश्चय तुम्हारे लिए आख़िरत में वही होगा, जो तुम पसंद करोगे?
آیت :
39
أَمۡ لَكُمۡ أَيۡمَٰنٌ عَلَيۡنَا بَٰلِغَةٌ إِلَىٰ يَوۡمِ ٱلۡقِيَٰمَةِ إِنَّ لَكُمۡ لَمَا تَحۡكُمُونَ
या तुम्हारे लिए हमारे ऊपर क़समें हैं, जो क़ियामत के दिन तक बाक़ी रहने वाली हैं कि तुम्हारे लिए निश्चय वही होगा, जो तुम निर्णय करोगे?
آیت :
40
سَلۡهُمۡ أَيُّهُم بِذَٰلِكَ زَعِيمٌ
आप उनसे पूछिए कि उनमें से कौन इसकी ज़मानत लेता है?
آیت :
41
أَمۡ لَهُمۡ شُرَكَآءُ فَلۡيَأۡتُواْ بِشُرَكَآئِهِمۡ إِن كَانُواْ صَٰدِقِينَ
क्या उनके कोई साझी हैं? फिर तो वे अपने साझियों को ले आएँ[9], यदि वे सच्चे हैं।
آیت :
42
يَوۡمَ يُكۡشَفُ عَن سَاقٖ وَيُدۡعَوۡنَ إِلَى ٱلسُّجُودِ فَلَا يَسۡتَطِيعُونَ
जिस दिन पिंडली खोल दी जाएगी और वे सजदा करने के लिए बुलाए जाएँगे, तो वे सजदा नहीं कर सकेंगे।[10]