آیت :
1
وَٱلۡعَٰدِيَٰتِ ضَبۡحٗا
क़सम है उन घोड़ों की, जो पेट से साँस की आवाज़ निकालते हुए डौड़ने वाले हैं!
آیت :
2
فَٱلۡمُورِيَٰتِ قَدۡحٗا
फिर टाप मारकर चिंगारियाँ निकालने वाले घोड़ों की क़सम!
آیت :
3
فَٱلۡمُغِيرَٰتِ صُبۡحٗا
फिर सुबह के समय हमला करने वाले (घोड़ों) की क़सम!
آیت :
4
فَأَثَرۡنَ بِهِۦ نَقۡعٗا
फिर उससे धूल उड़ाते हैं।
آیت :
5
فَوَسَطۡنَ بِهِۦ جَمۡعًا
फिर वे उसके साथ (दुश्मन की) सेना के बीच घुस जाते हैं।
آیت :
6
إِنَّ ٱلۡإِنسَٰنَ لِرَبِّهِۦ لَكَنُودٞ
निःसंदेह इनसान अपने पालनहार का बड़ा कृतघ्न (नाशुक्रा) है।
آیت :
7
وَإِنَّهُۥ عَلَىٰ ذَٰلِكَ لَشَهِيدٞ
और निःसंदेह वह इसपर स्वयं गवाह है।[1]
آیت :
8
وَإِنَّهُۥ لِحُبِّ ٱلۡخَيۡرِ لَشَدِيدٌ
और निःसंदेह वह धन के मोह में बड़ा सख़्त है।[2]
آیت :
9
۞ أَفَلَا يَعۡلَمُ إِذَا بُعۡثِرَ مَا فِي ٱلۡقُبُورِ
तो क्या वह नहीं जानता, जब क़ब्रों में जो कुछ है, निकाल बाहर किया जाएगा?