節 :
1
وَٱلتِّينِ وَٱلزَّيۡتُونِ
क़सम है अंजीर की! तथा ज़ैतून की!
節 :
2
وَطُورِ سِينِينَ
एवं "तूरे सीनीन" की क़सम!
節 :
3
وَهَٰذَا ٱلۡبَلَدِ ٱلۡأَمِينِ
और इस शान्ति वाले नगर की क़सम!
節 :
4
لَقَدۡ خَلَقۡنَا ٱلۡإِنسَٰنَ فِيٓ أَحۡسَنِ تَقۡوِيمٖ
निःसंदेह हमने इनसान को सबसे अच्छी संरचना में पैदा किया है।
節 :
5
ثُمَّ رَدَدۡنَٰهُ أَسۡفَلَ سَٰفِلِينَ
फिर हमने उसे सबसे नीची हालत की ओर लौटा दिया।
節 :
6
إِلَّا ٱلَّذِينَ ءَامَنُواْ وَعَمِلُواْ ٱلصَّٰلِحَٰتِ فَلَهُمۡ أَجۡرٌ غَيۡرُ مَمۡنُونٖ
परंतु जो लोग ईमान लाए तथा उन्होंने सत्कर्म किए, उनके लिए समाप्त न होने वाला बदला है।
節 :
7
فَمَا يُكَذِّبُكَ بَعۡدُ بِٱلدِّينِ
फिर (ऐ मनुष्य) तुझे कौन-सी चीज़ बदले (के दिन) को झुठलाने पर आमादा करती है?
節 :
8
أَلَيۡسَ ٱللَّهُ بِأَحۡكَمِ ٱلۡحَٰكِمِينَ
क्या अल्लाह सब हाकिमों से बड़ा हाकिम नहीं है?