節 :
53
ذَٰلِكَ بِأَنَّ ٱللَّهَ لَمۡ يَكُ مُغَيِّرٗا نِّعۡمَةً أَنۡعَمَهَا عَلَىٰ قَوۡمٍ حَتَّىٰ يُغَيِّرُواْ مَا بِأَنفُسِهِمۡ وَأَنَّ ٱللَّهَ سَمِيعٌ عَلِيمٞ
यह इस कारण (हुआ) कि अल्लाह कभी भी उस नेमत को बदलने वाला नहीं है, जो उसने किसी जाति पर की हो, यहाँ तक कि वे (स्वयं) बदल दें जो उनके दिलों में है। और इसलिए कि अल्लाह सब कुछ सुनने वाला, सब कुछ जानने वाला है।
節 :
54
كَدَأۡبِ ءَالِ فِرۡعَوۡنَ وَٱلَّذِينَ مِن قَبۡلِهِمۡۚ كَذَّبُواْ بِـَٔايَٰتِ رَبِّهِمۡ فَأَهۡلَكۡنَٰهُم بِذُنُوبِهِمۡ وَأَغۡرَقۡنَآ ءَالَ فِرۡعَوۡنَۚ وَكُلّٞ كَانُواْ ظَٰلِمِينَ
इनकी दशा फ़िरऔनियों तथा उन लोगों जैसी हुई, जो उनसे पहले थे। उन्होंने अल्लाह की आयतों को झुठलाया, तो हमने उन्हें उनके पापों के कारण विनष्ट कर दिया तथा फ़िरऔनियों को डुबो दिया। और वे सभी अत्याचारी थे।[26]
節 :
55
إِنَّ شَرَّ ٱلدَّوَآبِّ عِندَ ٱللَّهِ ٱلَّذِينَ كَفَرُواْ فَهُمۡ لَا يُؤۡمِنُونَ
निःसंदेह अल्लाह की दृष्टि में सभी जानवरों से बुरे वे लोग हैं, जिन्होंने कुफ़्र किया, इसलिए वे ईमान नहीं लाते।
節 :
56
ٱلَّذِينَ عَٰهَدتَّ مِنۡهُمۡ ثُمَّ يَنقُضُونَ عَهۡدَهُمۡ فِي كُلِّ مَرَّةٖ وَهُمۡ لَا يَتَّقُونَ
वे लोग[27] जिनसे तूने संधि की। फिर वे हर बार अपना वचन भंग कर देते हैं। और वे (अल्लाह से) नहीं डरते।
節 :
57
فَإِمَّا تَثۡقَفَنَّهُمۡ فِي ٱلۡحَرۡبِ فَشَرِّدۡ بِهِم مَّنۡ خَلۡفَهُمۡ لَعَلَّهُمۡ يَذَّكَّرُونَ
तो यदि कभी तुम उन्हें युद्ध में पा जाओ, तो उनपर भारी प्रहार करने के साथ उन लोगों को भगा दो, जो उनके पीछे हैं, ताकि वे सीख ग्रहण करें।
節 :
58
وَإِمَّا تَخَافَنَّ مِن قَوۡمٍ خِيَانَةٗ فَٱنۢبِذۡ إِلَيۡهِمۡ عَلَىٰ سَوَآءٍۚ إِنَّ ٱللَّهَ لَا يُحِبُّ ٱلۡخَآئِنِينَ
और यदि कभी आपको किसी जाति की ओर से किसी विश्वासघात का भय हो, तो समानता के आधार पर उनका वचन उन पर फेंक दें।[28] निःसंदेह अल्लाह विश्वासघात करने वालों से प्रेम नहीं करता।
節 :
59
وَلَا يَحۡسَبَنَّ ٱلَّذِينَ كَفَرُواْ سَبَقُوٓاْۚ إِنَّهُمۡ لَا يُعۡجِزُونَ
जिन लोगों ने कुफ़्र किया, हरगिज़ न समझें कि वे बचकर निकले गए। निश्चय वे (हमें) विवश नहीं कर सकेंगे।
節 :
60
وَأَعِدُّواْ لَهُم مَّا ٱسۡتَطَعۡتُم مِّن قُوَّةٖ وَمِن رِّبَاطِ ٱلۡخَيۡلِ تُرۡهِبُونَ بِهِۦ عَدُوَّ ٱللَّهِ وَعَدُوَّكُمۡ وَءَاخَرِينَ مِن دُونِهِمۡ لَا تَعۡلَمُونَهُمُ ٱللَّهُ يَعۡلَمُهُمۡۚ وَمَا تُنفِقُواْ مِن شَيۡءٖ فِي سَبِيلِ ٱللَّهِ يُوَفَّ إِلَيۡكُمۡ وَأَنتُمۡ لَا تُظۡلَمُونَ
तथा जहाँ तक तुमसे हो सके, अपनी शक्ति बढ़ाकर और घोड़ों को तैयार करके उनके (मुक़ाबले के) लिए अपने उपकरण तैयार करो, जिसके साथ तुम अल्लाह के दुश्मन और अपने दुश्मन को और उनके अलावा कुछ और लोगों को भयभीत[29] करोगे, जिन्हें तुम नहीं जानते, अल्लाह उन्हें जानता है। और तुम जो चीज़ भी अल्लाह की राह में खर्च करोगे, वह तुम्हें पूरी-पूरी लौटा दी जाएगी और तुमपर अत्याचार नहीं किया जाएगा।
節 :
61
۞ وَإِن جَنَحُواْ لِلسَّلۡمِ فَٱجۡنَحۡ لَهَا وَتَوَكَّلۡ عَلَى ٱللَّهِۚ إِنَّهُۥ هُوَ ٱلسَّمِيعُ ٱلۡعَلِيمُ
और यदि वे (शत्रु) संधि की ओर झुकें, तो आप भी उसकी ओर झुक जाएँ और अल्लाह पर भरोसा रखें। निःसंदेह वही सब कुछ सुनने वाला, सब कुछ जानने वाला है।