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سورة القيامة - सूरह अल-क़ियामा

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節 : 1
لَآ أُقۡسِمُ بِيَوۡمِ ٱلۡقِيَٰمَةِ
मैं क़सम खाता हूँ क़ियामत के दिन[1] की।
1. किसी चीज़ की क़सम खाने का अर्थ होता है, उसका निश्चित् होना। अर्थात प्रलय का होना निश्चित् है।
節 : 2
وَلَآ أُقۡسِمُ بِٱلنَّفۡسِ ٱللَّوَّامَةِ
तथा मैं क़सम खाता हूँ निंदा[2] करने वाली अंतरात्मा की।
2. मनुष्य की अंतरात्मा की यह विशेषता है कि वह बुराई करने पर उसकी निंदा करती है।
節 : 3
أَيَحۡسَبُ ٱلۡإِنسَٰنُ أَلَّن نَّجۡمَعَ عِظَامَهُۥ
क्या इनसान समझता है कि हम कभी उसकी हड्डियों को एकत्र नहीं करेंगे?
節 : 4
بَلَىٰ قَٰدِرِينَ عَلَىٰٓ أَن نُّسَوِّيَ بَنَانَهُۥ
क्यों नहीं? हम इस बता का भी सामर्थ्य रखते हैं कि उसकी उंगलियों की पोर-पोर सीधी कर दें।
節 : 5
بَلۡ يُرِيدُ ٱلۡإِنسَٰنُ لِيَفۡجُرَ أَمَامَهُۥ
बल्कि मनुष्य चाहता है कि अपने आगे भी[3] गुनाह करता रहे।
3. अर्थात वह प्रलय तथा ह़िसाब का इनकार इसलिए करता है ताकि वह पूरी आयु कुकर्म करता रहे।
節 : 6
يَسۡـَٔلُ أَيَّانَ يَوۡمُ ٱلۡقِيَٰمَةِ
वह पूछता है कि क़ियामत का दिन कब होगा?
節 : 7
فَإِذَا بَرِقَ ٱلۡبَصَرُ
तो जब आँख चौंधिया जाएगी।
節 : 8
وَخَسَفَ ٱلۡقَمَرُ
और चाँद को ग्रहण लग जाएगा।
節 : 9
وَجُمِعَ ٱلشَّمۡسُ وَٱلۡقَمَرُ
और सूर्य और चाँद एकत्र[4] कर दिए जाएँगे।
4. अर्थात दोनों पश्चिम से अँधेरे होकर निकलेंगे।
節 : 10
يَقُولُ ٱلۡإِنسَٰنُ يَوۡمَئِذٍ أَيۡنَ ٱلۡمَفَرُّ
उस दिन मनुष्य कहेगा कि भागने का स्थान कहाँ है?
節 : 11
كَلَّا لَا وَزَرَ
कदापि नहीं, शरण लेने का स्थान कोई नहीं।
節 : 12
إِلَىٰ رَبِّكَ يَوۡمَئِذٍ ٱلۡمُسۡتَقَرُّ
उस दिन तेरे पालनहार ही की ओर लौटकर जाना है।
節 : 13
يُنَبَّؤُاْ ٱلۡإِنسَٰنُ يَوۡمَئِذِۭ بِمَا قَدَّمَ وَأَخَّرَ
उस दिन इनसान को बताया जाएगा जो उसने आगे भेजा और जो पीछे छोड़ा।[5]
5. अर्थात संसार में जो कर्म किया और जो करना चाहिए था, फिर भी नहीं किया।
節 : 14
بَلِ ٱلۡإِنسَٰنُ عَلَىٰ نَفۡسِهِۦ بَصِيرَةٞ
बल्कि इनसान स्वयं अपने विरुद्ध गवाह[6] है।
6. अर्थात वह अपने अपराधों को स्वयं भी जानता है क्योंकि पापी का मन स्वयं अपने पाप की गवाही देता है।
節 : 15
وَلَوۡ أَلۡقَىٰ مَعَاذِيرَهُۥ
अगरचे वह अपने बहाने पेश करे।
節 : 16
لَا تُحَرِّكۡ بِهِۦ لِسَانَكَ لِتَعۡجَلَ بِهِۦٓ
(ऐ नबी!) आप इसके साथ अपनी ज़ुबान न हिलाएँ[7], ताकि इसे शीघ्र याद कर लें।
7. ह़दीस में है कि आप (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) फ़रिश्ते जिब्रील से वह़्य पूरी होने से पहले इस भय से उसे दुहराने लगते कि कुछ भूल न जाएँ। उसी पर यह आयत उतरी। (सह़ीह़ बुख़ारी : 4928, 4929) इसी विषय को सूरत ताहा तथा सूरतुल-आला में भी दुहराया गया है।
節 : 17
إِنَّ عَلَيۡنَا جَمۡعَهُۥ وَقُرۡءَانَهُۥ
निःसंदेह उसको एकत्र करना और (आपका) उसे पढ़ना हमारे ज़िम्मे है।
節 : 18
فَإِذَا قَرَأۡنَٰهُ فَٱتَّبِعۡ قُرۡءَانَهُۥ
अतः जब हम उसे पढ़ लें, तो आप उसके पठन का अनुसरण करें।
節 : 19
ثُمَّ إِنَّ عَلَيۡنَا بَيَانَهُۥ
फिर निःसंदेह उसे स्पषट करना हमारे ही ज़िम्मे है।

節 : 20
كَلَّا بَلۡ تُحِبُّونَ ٱلۡعَاجِلَةَ
कदापि नहीं[8], बल्कि तुम शीघ्र प्राप्त होने वाली चीज़ (संसार) से प्रेम करते हो।
8. यहाँ से बात फिर काफ़िरों की ओर फिर रही है।
節 : 21
وَتَذَرُونَ ٱلۡأٓخِرَةَ
और बाद में आने वाली (आख़िरत) को छोड़ देते हो।
節 : 22
وُجُوهٞ يَوۡمَئِذٖ نَّاضِرَةٌ
उस दिन कई चेहरे तरो-ताज़ा होंगे।
節 : 23
إِلَىٰ رَبِّهَا نَاظِرَةٞ
अपने पालनहार की ओर देख रहे होंगे।
節 : 24
وَوُجُوهٞ يَوۡمَئِذِۭ بَاسِرَةٞ
और कई चेहरे उस दिन बिगड़े हुए होंगे।
節 : 25
تَظُنُّ أَن يُفۡعَلَ بِهَا فَاقِرَةٞ
उन्हें विश्वास होगा कि उनके साथ कमड़ तोड़ देने वाली सख्ती की जाएगी।
節 : 26
كَلَّآ إِذَا بَلَغَتِ ٱلتَّرَاقِيَ
कदापि नहीं[9], जब प्राण हँसलियों तक पहुँच जाएगा।
9. अर्थात यह विचार सह़ीह़ नहीं कि मौत के पश्चात् सड़-गल जाएँगे और दोबारा जीवित नहीं किए जाएँगे। क्योंकि आत्मा रह जाती है, जो मौत के साथ ही अपने पालनहार की ओर चली जाती है।
節 : 27
وَقِيلَ مَنۡۜ رَاقٖ
और कहा जाएगा : कौन है झाड़-फूँक करने वाला?
節 : 28
وَظَنَّ أَنَّهُ ٱلۡفِرَاقُ
और उसे विश्वास हो जाएगा कि यह (संसार से) जुदाई का समय है।
節 : 29
وَٱلۡتَفَّتِ ٱلسَّاقُ بِٱلسَّاقِ
और पिंडली, पिंडली[10] के साथ लिपट जाएगी।
10. अर्थात मौत का समय आ जाएगा जो निरंतर दुःख का समय होगा। (इब्ने कसीर)
節 : 30
إِلَىٰ رَبِّكَ يَوۡمَئِذٍ ٱلۡمَسَاقُ
उस दिन तेरे पालनहार ही की ओर जाना है।
節 : 31
فَلَا صَدَّقَ وَلَا صَلَّىٰ
तो न उसने (सत्य को) माना और न नमाज़ पढ़ी।
節 : 32
وَلَٰكِن كَذَّبَ وَتَوَلَّىٰ
लेकिन उसने झुठलाया तथा मुँह फेरा।
節 : 33
ثُمَّ ذَهَبَ إِلَىٰٓ أَهۡلِهِۦ يَتَمَطَّىٰٓ
फिर अकड़ता हुआ अपने परिजनों की ओर गया।
節 : 34
أَوۡلَىٰ لَكَ فَأَوۡلَىٰ
तेरे लिए विनाश है, फिर तेरे लिए बर्बादी है।
節 : 35
ثُمَّ أَوۡلَىٰ لَكَ فَأَوۡلَىٰٓ
फिर तेरे लिए विनाश है, फिर तेरे लिए बर्बादी है।
節 : 36
أَيَحۡسَبُ ٱلۡإِنسَٰنُ أَن يُتۡرَكَ سُدًى
क्या इनसान समझता है कि उसे यूँ ही बेकार छोड़ दिया जायेगा?[11]
11. अर्थात न उसे किसी बात का आदेश दिया जाएगा और न रोका जाएगा और न उससे कर्मों का ह़िसाब लिया जाएगा।
節 : 37
أَلَمۡ يَكُ نُطۡفَةٗ مِّن مَّنِيّٖ يُمۡنَىٰ
क्या वह वीर्य की एक बूंद नहीं था, जो (गर्भाशय में) गिराई जाती है?
節 : 38
ثُمَّ كَانَ عَلَقَةٗ فَخَلَقَ فَسَوَّىٰ
फिर वह जमे हुए रक्त का टुकड़ा हुआ, फिर अल्लाह ने पैदा किया और दुरुस्त बनाया।
節 : 39
فَجَعَلَ مِنۡهُ ٱلزَّوۡجَيۡنِ ٱلذَّكَرَ وَٱلۡأُنثَىٰٓ
फिर उसने उससे दो प्रकार : नर और मादा बनाए।
節 : 40
أَلَيۡسَ ذَٰلِكَ بِقَٰدِرٍ عَلَىٰٓ أَن يُحۡـِۧيَ ٱلۡمَوۡتَىٰ
क्या वह इसमें समर्थ नहीं कि मुर्दों को जीवित कर दे?
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