節 :
1
وَٱلنَّجۡمِ إِذَا هَوَىٰ
क़सम है तारे की जब वह गिरे!
節 :
2
مَا ضَلَّ صَاحِبُكُمۡ وَمَا غَوَىٰ
तुम्हारा साथी न तो रास्ते से भटका है और न ही गलत रास्ते पर चला है।
節 :
3
وَمَا يَنطِقُ عَنِ ٱلۡهَوَىٰٓ
और न वह अपनी इच्छा से बोलता है।
節 :
4
إِنۡ هُوَ إِلَّا وَحۡيٞ يُوحَىٰ
वह तो केवल वह़्य है, जो उतारी जाती है।
節 :
5
عَلَّمَهُۥ شَدِيدُ ٱلۡقُوَىٰ
उसे बहुत मज़ूबत शक्तियों वाले (फ़रिश्ते)[1] ने सिखाया है।
節 :
6
ذُو مِرَّةٖ فَٱسۡتَوَىٰ
जो बड़ा बलशाली है। फिर वह बुलंद हुआ (अपने असली रूप में प्रकट हुआ)।
節 :
7
وَهُوَ بِٱلۡأُفُقِ ٱلۡأَعۡلَىٰ
जबकि वह आकाश के सबसे ऊँचे क्षितिज (पूर्वी किनारे) पर था।
節 :
8
ثُمَّ دَنَا فَتَدَلَّىٰ
फिर वह निकट हुआ और उतर आया।
節 :
9
فَكَانَ قَابَ قَوۡسَيۡنِ أَوۡ أَدۡنَىٰ
फिर वह दो धनुषों की दूरी पर था, या उससे भी निकट।
節 :
10
فَأَوۡحَىٰٓ إِلَىٰ عَبۡدِهِۦ مَآ أَوۡحَىٰ
फिर उसने अल्लाह के बंदे[2] की ओर वह़्य की, जो भी वह़्य की।
節 :
11
مَا كَذَبَ ٱلۡفُؤَادُ مَا رَأَىٰٓ
दिल ने झूठ नहीं बोला, जो कुछ उसने देखा।
節 :
12
أَفَتُمَٰرُونَهُۥ عَلَىٰ مَا يَرَىٰ
फिर क्या तुम उससे उसपर झगड़ते हो, जो वह देखता है?
節 :
13
وَلَقَدۡ رَءَاهُ نَزۡلَةً أُخۡرَىٰ
हालाँकि, निश्चित रूप से उसने उसे एक और बार उतरते हुए भी देखा है।
節 :
14
عِندَ سِدۡرَةِ ٱلۡمُنتَهَىٰ
सिदरतुल-मुनतहा'[3] के पास।
節 :
15
عِندَهَا جَنَّةُ ٱلۡمَأۡوَىٰٓ
उसी के पास 'जन्नतुल मावा' (शाश्वत स्वर्ग) है।
節 :
16
إِذۡ يَغۡشَى ٱلسِّدۡرَةَ مَا يَغۡشَىٰ
जब सिदरा पर छा रहा था, जो कुछ छा रहा था।[4]
節 :
17
مَا زَاغَ ٱلۡبَصَرُ وَمَا طَغَىٰ
न निगाह इधर-उधर हुई और न सीमा से आगे बढ़ी।
節 :
18
لَقَدۡ رَأَىٰ مِنۡ ءَايَٰتِ رَبِّهِ ٱلۡكُبۡرَىٰٓ
निःसंदेह उसने अपने पालनहार की कुछ बहुत बड़ी निशानियाँ[5] देखीं।
節 :
19
أَفَرَءَيۡتُمُ ٱللَّٰتَ وَٱلۡعُزَّىٰ
फिर क्या तुमने लात और उज़्ज़ा को देखा।
節 :
20
وَمَنَوٰةَ ٱلثَّالِثَةَ ٱلۡأُخۡرَىٰٓ
तथा तीसरी एक और (मूर्ति) मनात को?[6]
節 :
21
أَلَكُمُ ٱلذَّكَرُ وَلَهُ ٱلۡأُنثَىٰ
क्या तुम्हारे लिए पुत्र हैं और उस (अल्लाह) के लिए पुत्रियाँ?
節 :
22
تِلۡكَ إِذٗا قِسۡمَةٞ ضِيزَىٰٓ
तब तो यह बड़ा अन्यायपूर्ण बँटवारा है।
節 :
23
إِنۡ هِيَ إِلَّآ أَسۡمَآءٞ سَمَّيۡتُمُوهَآ أَنتُمۡ وَءَابَآؤُكُم مَّآ أَنزَلَ ٱللَّهُ بِهَا مِن سُلۡطَٰنٍۚ إِن يَتَّبِعُونَ إِلَّا ٱلظَّنَّ وَمَا تَهۡوَى ٱلۡأَنفُسُۖ وَلَقَدۡ جَآءَهُم مِّن رَّبِّهِمُ ٱلۡهُدَىٰٓ
ये (मूर्तियाँ) कुछ नामों के सिवा कुछ भी नहीं हैं, जो तुमने तथा तुम्हारे बाप-दादा ने रख लिए हैं। अल्लाह ने इनका कोई प्रमाण नहीं उतारा है। ये लोग केवल अटकल[7] के और उन चीज़ों के पीछे चल रहे हैं जो उनके दिल चाहते हैं। जबकि निःसंदेह उनके पास उनके पालनहार की ओर से मार्गदर्शन आ चुका है।
節 :
24
أَمۡ لِلۡإِنسَٰنِ مَا تَمَنَّىٰ
क्या मनुष्य को वह मिल जाएगा, जिसकी वह कामना करे?
節 :
25
فَلِلَّهِ ٱلۡأٓخِرَةُ وَٱلۡأُولَىٰ
(नहीं, ऐसा नहीं है) क्योंकि आख़िरत और दुनिया अल्लाह ही के अधिकार में है।
節 :
26
۞ وَكَم مِّن مَّلَكٖ فِي ٱلسَّمَٰوَٰتِ لَا تُغۡنِي شَفَٰعَتُهُمۡ شَيۡـًٔا إِلَّا مِنۢ بَعۡدِ أَن يَأۡذَنَ ٱللَّهُ لِمَن يَشَآءُ وَيَرۡضَىٰٓ
और आकाशों में कितने ही फ़रिश्ते हैं कि उनकी सिफ़ारिश कुछ लाभ नहीं देती, परंतु इसके पश्चात कि अल्लाह अनुमति दे जिसके लिए चाहे तथा (जिसे) पसंद करे।[8]