節 :
32
وَمِنۡ ءَايَٰتِهِ ٱلۡجَوَارِ فِي ٱلۡبَحۡرِ كَٱلۡأَعۡلَٰمِ
तथा उसकी निशानियों में से समुद्र में चलने वाले जहाज़ हैं, जो पहाड़ों के समान हैं।
節 :
33
إِن يَشَأۡ يُسۡكِنِ ٱلرِّيحَ فَيَظۡلَلۡنَ رَوَاكِدَ عَلَىٰ ظَهۡرِهِۦٓۚ إِنَّ فِي ذَٰلِكَ لَأٓيَٰتٖ لِّكُلِّ صَبَّارٖ شَكُورٍ
यदि वह चाहे तो वायु को ठहरा दे, तो वे उसकी सतह पर खड़े रह जाएँ। निःसंदेह इसमें हर ऐसे व्यक्ति के लिए निश्चय कई निशानियाँ हैं जो बहुत धैर्यवान, बड़ा कृतज्ञ है।
節 :
34
أَوۡ يُوبِقۡهُنَّ بِمَا كَسَبُواْ وَيَعۡفُ عَن كَثِيرٖ
या वह उन्हें उसके कारण विनष्ट[27] कर दे जो उन्होंने कमाया और वह बहुत-से पापों को क्षमा कर देता है।
節 :
35
وَيَعۡلَمَ ٱلَّذِينَ يُجَٰدِلُونَ فِيٓ ءَايَٰتِنَا مَا لَهُم مِّن مَّحِيصٖ
तथा वे लोग जान लें, जो हमारी आयतों में झगड़ते हैं कि उनके लिए भागने का कोई स्थान नहीं है।
節 :
36
فَمَآ أُوتِيتُم مِّن شَيۡءٖ فَمَتَٰعُ ٱلۡحَيَوٰةِ ٱلدُّنۡيَاۚ وَمَا عِندَ ٱللَّهِ خَيۡرٞ وَأَبۡقَىٰ لِلَّذِينَ ءَامَنُواْ وَعَلَىٰ رَبِّهِمۡ يَتَوَكَّلُونَ
तुम्हें जो चीज़ भी दी गई है, वह सांसारिक जीवन का सामान है, तथा जो कुछ अल्लाह के पास है, वह उत्तम और स्थायी[28] है, उन लोगों के लिए जो अल्लाह पर ईमान लाए तथा केवल अपने पालनहार पर भरोसा रखते हैं।
節 :
37
وَٱلَّذِينَ يَجۡتَنِبُونَ كَبَٰٓئِرَ ٱلۡإِثۡمِ وَٱلۡفَوَٰحِشَ وَإِذَا مَا غَضِبُواْ هُمۡ يَغۡفِرُونَ
तथा वे लोग जो बड़े पापों एवं निर्लज्जता के कामों से बचते हैं और जब भी गुस्सा आए तो माफ कर देते हैं।
節 :
38
وَٱلَّذِينَ ٱسۡتَجَابُواْ لِرَبِّهِمۡ وَأَقَامُواْ ٱلصَّلَوٰةَ وَأَمۡرُهُمۡ شُورَىٰ بَيۡنَهُمۡ وَمِمَّا رَزَقۡنَٰهُمۡ يُنفِقُونَ
तथा जिन लोगों ने अपने रब का हुक्म माना और नमाज़ क़ायम की और उनका काम आपस में परामर्श करना है[29] और जो कुछ हमने उन्हें दिया है उसमें से ख़र्च करते हैं।
節 :
39
وَٱلَّذِينَ إِذَآ أَصَابَهُمُ ٱلۡبَغۡيُ هُمۡ يَنتَصِرُونَ
और वे लोग कि जब उनपर अत्याचार होता है, तो वे बदला लेते हैं।
節 :
40
وَجَزَٰٓؤُاْ سَيِّئَةٖ سَيِّئَةٞ مِّثۡلُهَاۖ فَمَنۡ عَفَا وَأَصۡلَحَ فَأَجۡرُهُۥ عَلَى ٱللَّهِۚ إِنَّهُۥ لَا يُحِبُّ ٱلظَّٰلِمِينَ
और किसी बुराई का बदला उसी जैसी बुराई[30] है। फिर जो क्षमा कर दे तथा सुधार कर ले, तो उसका प्रतिफल अल्लाह के ज़िम्मे है। निःसंदेह वह अत्याचारियों से प्रेम नहीं करता।
節 :
41
وَلَمَنِ ٱنتَصَرَ بَعۡدَ ظُلۡمِهِۦ فَأُوْلَٰٓئِكَ مَا عَلَيۡهِم مِّن سَبِيلٍ
तथा जो अपने ऊपर अत्याचार होने के पश्चात् बदला ले ले, तो ये वे लोग हैं जिनपर कोई दोष नहीं।
節 :
42
إِنَّمَا ٱلسَّبِيلُ عَلَى ٱلَّذِينَ يَظۡلِمُونَ ٱلنَّاسَ وَيَبۡغُونَ فِي ٱلۡأَرۡضِ بِغَيۡرِ ٱلۡحَقِّۚ أُوْلَٰٓئِكَ لَهُمۡ عَذَابٌ أَلِيمٞ
दोष तो केवल उन्हीं पर है, जो लोगों पर अत्याचार करते हैं और धरती पर बिना अधिकार के सरकशी करते हैं। यही लोग हैं जिनके लिए कष्टदायक यातना है।
節 :
43
وَلَمَن صَبَرَ وَغَفَرَ إِنَّ ذَٰلِكَ لَمِنۡ عَزۡمِ ٱلۡأُمُورِ
और निःसंदेह जो सब्र करे तथा क्षमा कर दे, तो निःसदंहे यह निश्चय बड़े साहस के कामों में से है।[31]
節 :
44
وَمَن يُضۡلِلِ ٱللَّهُ فَمَا لَهُۥ مِن وَلِيّٖ مِّنۢ بَعۡدِهِۦۗ وَتَرَى ٱلظَّٰلِمِينَ لَمَّا رَأَوُاْ ٱلۡعَذَابَ يَقُولُونَ هَلۡ إِلَىٰ مَرَدّٖ مِّن سَبِيلٖ
तथा जिसे अल्लाह गुमराह कर दे, तो उसके बाद उसका कोई सहायक नहीं। तथा आप अत्याचारियों को देखेंगे कि जब वे यातना देखेंगे, तो कहेंगे : क्या वापसी का कोई रास्ता है?[32]