節 :
53
۞ وَمَآ أُبَرِّئُ نَفۡسِيٓۚ إِنَّ ٱلنَّفۡسَ لَأَمَّارَةُۢ بِٱلسُّوٓءِ إِلَّا مَا رَحِمَ رَبِّيٓۚ إِنَّ رَبِّي غَفُورٞ رَّحِيمٞ
और मैं खुद को बरी नहीं करती, निःसंदेह मन तो बुराई का बहुत आदेश देने वाला है, सिवाय उसके जिसपर मेरा पालनहार दया करे। निःसंदेह मेरा पालनहार अति क्षमाशील, अत्यंत दयावान् है।
節 :
54
وَقَالَ ٱلۡمَلِكُ ٱئۡتُونِي بِهِۦٓ أَسۡتَخۡلِصۡهُ لِنَفۡسِيۖ فَلَمَّا كَلَّمَهُۥ قَالَ إِنَّكَ ٱلۡيَوۡمَ لَدَيۡنَا مَكِينٌ أَمِينٞ
और राजा ने कहा : उसे मेरे पास लाओ, उसे मैं अपने लिए विशेष कर लूँ और जब (राजा ने) उन (यूसुफ़) से बात की, तो कहा : निःसंदेह आप आज हमारे यहाँ पदाधिकारी, विश्वसनीय हैं।
節 :
55
قَالَ ٱجۡعَلۡنِي عَلَىٰ خَزَآئِنِ ٱلۡأَرۡضِۖ إِنِّي حَفِيظٌ عَلِيمٞ
(यूसुफ़) ने कहा : मुझे इस देश के ख़ज़ानों पर नियुक्त कर दीजिए। निःसंदेह मैं संरक्षण करने वाला, बड़ा जानकार हूँ।
節 :
56
وَكَذَٰلِكَ مَكَّنَّا لِيُوسُفَ فِي ٱلۡأَرۡضِ يَتَبَوَّأُ مِنۡهَا حَيۡثُ يَشَآءُۚ نُصِيبُ بِرَحۡمَتِنَا مَن نَّشَآءُۖ وَلَا نُضِيعُ أَجۡرَ ٱلۡمُحۡسِنِينَ
और इसी प्रकार, हमने यूसुफ़ को उस धरती (देश) में अधिकार प्रदान किया। वह उसमें जहाँ चाहते, रहते थे। हम अपनी दया जिसे चाहें, प्रदान करते हैं और हम सदाचारियों का प्रतिफल नष्ट नहीं करते।
節 :
57
وَلَأَجۡرُ ٱلۡأٓخِرَةِ خَيۡرٞ لِّلَّذِينَ ءَامَنُواْ وَكَانُواْ يَتَّقُونَ
और निश्चय आख़िरत का बदला उन लोगों के लिए अधिक बेहतर है, जो ईमान लाए और अल्लाह से डरते रहे।
節 :
58
وَجَآءَ إِخۡوَةُ يُوسُفَ فَدَخَلُواْ عَلَيۡهِ فَعَرَفَهُمۡ وَهُمۡ لَهُۥ مُنكِرُونَ
और यूसुफ़ के भाई आए[16], फिर वे उसके पास गए, तो उसने उन्हें पहचान लिया, जबकि वे उसे पहचान नहीं सके।
節 :
59
وَلَمَّا جَهَّزَهُم بِجَهَازِهِمۡ قَالَ ٱئۡتُونِي بِأَخٖ لَّكُم مِّنۡ أَبِيكُمۡۚ أَلَا تَرَوۡنَ أَنِّيٓ أُوفِي ٱلۡكَيۡلَ وَأَنَا۠ خَيۡرُ ٱلۡمُنزِلِينَ
और जब उनका सामान तैयार कर दिया, तो कहा : मेरे पास अपने उस भाई[17] को लेकर आना जो तुम्हारे बाप की ओर से है। क्या तुम नहीं देखते कि मैं पूरी माप देता हूँ तथा मैं उत्तम अतिथि-सत्कार करने वाला हूँ?
節 :
60
فَإِن لَّمۡ تَأۡتُونِي بِهِۦ فَلَا كَيۡلَ لَكُمۡ عِندِي وَلَا تَقۡرَبُونِ
फिर यदि तुम उसे मेरे पास न लाए, तो तुम्हारे लिए मेरे पास न कोई माप होगा और न तुम मेरे पास आना।
節 :
61
قَالُواْ سَنُرَٰوِدُ عَنۡهُ أَبَاهُ وَإِنَّا لَفَٰعِلُونَ
वे बोले : हम उसके पिता को इसके लिए राज़ी करने का पूरा प्रयास करेंगे और हम अवश्य ऐसा करने वाले हैं।
節 :
62
وَقَالَ لِفِتۡيَٰنِهِ ٱجۡعَلُواْ بِضَٰعَتَهُمۡ فِي رِحَالِهِمۡ لَعَلَّهُمۡ يَعۡرِفُونَهَآ إِذَا ٱنقَلَبُوٓاْ إِلَىٰٓ أَهۡلِهِمۡ لَعَلَّهُمۡ يَرۡجِعُونَ
और यूसुफ़ ने अपने सेवकों को आदेश दिया : उनका मूलधन[18] उनकी बोरियों में रख दो। ताकि वे उसे पहचान लें, जब वे अपने परिजनों की ओर वापस जाएँ, शायद वे फिर आ जाएँ।
節 :
63
فَلَمَّا رَجَعُوٓاْ إِلَىٰٓ أَبِيهِمۡ قَالُواْ يَٰٓأَبَانَا مُنِعَ مِنَّا ٱلۡكَيۡلُ فَأَرۡسِلۡ مَعَنَآ أَخَانَا نَكۡتَلۡ وَإِنَّا لَهُۥ لَحَٰفِظُونَ
फिर जब वे अपने पिता के पास लौटे, तो कहा : ऐ हमारे पिता! हमसे (भविष्य में) माप रोक लिया गया है। अतः हमारे साथ हमारे भाई को भेजें कि हम माप (ग़ल्ला) लेकर आएँ और निःसंदेह हम उसकी अवश्य रक्षा करने वाले हैं।