آية :
56
وَمَآ أَرۡسَلۡنَٰكَ إِلَّا مُبَشِّرٗا وَنَذِيرٗا
तथा हमने आपको केवल शुभ-सूचना देने वाला और सावधान करने वाला बनाकर भेजा है।
آية :
57
قُلۡ مَآ أَسۡـَٔلُكُمۡ عَلَيۡهِ مِنۡ أَجۡرٍ إِلَّا مَن شَآءَ أَن يَتَّخِذَ إِلَىٰ رَبِّهِۦ سَبِيلٗا
आप कह दें : मैं तुमसे इसपर[30] कोई बदला नहीं माँगता, सिवाय इसके कि जो चाहे अपने पालनहार की ओर मार्ग अपना ले।
آية :
58
وَتَوَكَّلۡ عَلَى ٱلۡحَيِّ ٱلَّذِي لَا يَمُوتُ وَسَبِّحۡ بِحَمۡدِهِۦۚ وَكَفَىٰ بِهِۦ بِذُنُوبِ عِبَادِهِۦ خَبِيرًا
तथा उस सदा जीवंत पर भरोसा कीजिए, जो कभी नहीं मरेगा। और उसकी प्रशंसा के साथ पवित्रता का गान कीजिए। और वह अपने बंदों के गुनाहों की पूरी ख़बर रखने वाला काफ़ी है।
آية :
59
ٱلَّذِي خَلَقَ ٱلسَّمَٰوَٰتِ وَٱلۡأَرۡضَ وَمَا بَيۡنَهُمَا فِي سِتَّةِ أَيَّامٖ ثُمَّ ٱسۡتَوَىٰ عَلَى ٱلۡعَرۡشِۖ ٱلرَّحۡمَٰنُ فَسۡـَٔلۡ بِهِۦ خَبِيرٗا
जिसने आकाशों तथा धरती को और जो कुछ उनके बीच है, छह दिनों में पैदा किया, फिर अर्श (सिंहासन) पर बुलंद हुआ। (वह) बहुत दयालु है। अतः उसके बारे में किसी पूर्ण जानकार से पूछिए।
آية :
60
وَإِذَا قِيلَ لَهُمُ ٱسۡجُدُواْۤ لِلرَّحۡمَٰنِ قَالُواْ وَمَا ٱلرَّحۡمَٰنُ أَنَسۡجُدُ لِمَا تَأۡمُرُنَا وَزَادَهُمۡ نُفُورٗا۩
और जब उनसे कहा जाता है कि 'रह़मान' (अत्यंत दयावान्) को सजदा करो, तो कहते हैं कि 'रह़मान' क्या है? क्या हम उसे सजदा करें, जिसके लिए तू हमें आदेश देता है? और यह बात उन्हें बिदकने में और बढ़ा देती है।
آية :
61
تَبَارَكَ ٱلَّذِي جَعَلَ فِي ٱلسَّمَآءِ بُرُوجٗا وَجَعَلَ فِيهَا سِرَٰجٗا وَقَمَرٗا مُّنِيرٗا
बहुत बरकत वाला है वह, जिसने आकाश में बुर्ज (नक्षत्र) बनाए तथा उसमें एक चिराग़ (सूर्य) और एक रोशनी देने वाला चाँद बनाया।
آية :
62
وَهُوَ ٱلَّذِي جَعَلَ ٱلَّيۡلَ وَٱلنَّهَارَ خِلۡفَةٗ لِّمَنۡ أَرَادَ أَن يَذَّكَّرَ أَوۡ أَرَادَ شُكُورٗا
और वही है जिसने रात तथा दिन को एक-दूसरे के पीछे आने वाला बनाया, उसके लिए जो उपदेश ग्रहण करना चाहे, या शुक्र करना चाहे।
آية :
63
وَعِبَادُ ٱلرَّحۡمَٰنِ ٱلَّذِينَ يَمۡشُونَ عَلَى ٱلۡأَرۡضِ هَوۡنٗا وَإِذَا خَاطَبَهُمُ ٱلۡجَٰهِلُونَ قَالُواْ سَلَٰمٗا
और 'रह़मान' के बंदे वे हैं, जो धरती पर विनम्रता[31] से चलते हैं और जब जाहिल (अक्खड़) लोग उनसे बात करते हैं, तो कहते हैं सलाम है।[32]
آية :
64
وَٱلَّذِينَ يَبِيتُونَ لِرَبِّهِمۡ سُجَّدٗا وَقِيَٰمٗا
और जो अपने पालनहार के लिए सजदा करते हुए तथा खड़े होकर[33] रात गुज़ारते हैं।
آية :
65
وَٱلَّذِينَ يَقُولُونَ رَبَّنَا ٱصۡرِفۡ عَنَّا عَذَابَ جَهَنَّمَۖ إِنَّ عَذَابَهَا كَانَ غَرَامًا
तथा जो कहते हैं कि ऐ हमारे पालनहार! हमसे जहन्नम की यातना को हटा दे। निःसंदेह उसकी यातना चिमट जाने वाली है।
آية :
66
إِنَّهَا سَآءَتۡ مُسۡتَقَرّٗا وَمُقَامٗا
निःसंदेह वह बुरी ठहरने की जगह और निवास की जगह है।
آية :
67
وَٱلَّذِينَ إِذَآ أَنفَقُواْ لَمۡ يُسۡرِفُواْ وَلَمۡ يَقۡتُرُواْ وَكَانَ بَيۡنَ ذَٰلِكَ قَوَامٗا
तथा वे लोग कि जब खर्च करते हैं, तो न फ़िज़ूल-खर्ची करते है और न ख़र्च करने में तंगी करते हैं, और (उनका ख़र्च) इसके बीच में मध्यम होता है।